पाठ 5 अक्षरों का महत्त्व का सारांश
Class 6 Hindi Chapter 5
अक्षरों का महत्व Summary
पाठ के लेखक श्री गुणाकर मुले जी इस पाठ के माध्यम से अक्षरों के महत्त्व उजागर करते हुए बताते हैं कि आज हम जिन अक्षरों को पढ़ते या लिखते हैं वे कब बने, कहाँ बने ओर किसने बनाए जानना जरूरी है|
दुनिया भर में अनेक प्रकार की पुस्तकें बनी या छपी हैं| लगातार छपती भी जा रही हैं| ये सभी पुस्तकें अक्षरों से बनी हैं| बिना अक्षरों के इनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती| जरा सोचकर देखो अगर अक्षर न होते तो? खैर इन अक्षरों की खोज के बारे में पहले के लोग मानते थे कि इनकी खोज भगवान ने की है| लेकिन आज हमें पता है कि इनकी खोज हम मनुष्यों ने ही की है|
अक्षरों की खोज के विषय में बताते हुए वे कहते हैं कि हमारी धरती करीब 5 अरब साल पुरानी है| शुरुआत में 2-3 अरब साल तक यहाँ कुछ नहीं था|फिर करोड़ों साल वनस्पतियों और जानवरों का राज्य था| मनुष्य का जन्म सिर्फ पाँच लाख साल पहले हुआ है| फिर क्रमिक विकास के साथ करीब 10 हजार साल पहले मनुष्य ने गाँव बसाना शुरू किया| खेती करना शुरू किया|
सबसे पहले प्रागैतिहासिक मानव ने चित्रों के द्वारा अपने भाव व्यक्त करना शुरू किए| तब आगे चलकर चित्र संकेतों से भाव संकेत ओर इनसे ही करीब 6(छः) हजार साल पहले अक्षरों की खोज का सिलसिला शुरू हुआ|
अक्षरों कि खोज के साथ ही यक नए युग कि शुरुआत हुई| लोग सभ्य कहलाने लगे| यहाँ से ही इतिहास की शुरुआत मानी जाती है| इतिहास से पहले के समय को प्रागैतिहासिक काल कहते हैं| इस प्रकार अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज थी| इसके बाद ही मानव सभ्यता का तेजी से विकास शुरू हुआ|

गुणाकर मुले जी का जीवन परिचय
गुणाकर मुले हिन्दी और अंग्रेजी में विज्ञान-लेखन को लोकप्रिय बनाने वाले जाने माने लेखक थे। आपका जन्म 3 जनवरी 1935 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के सिंधु बुजुर्ग गाँव में हुआ था| मराठी मूल के होने के बाद भी आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गणित में एम.ए.करने के बाद हिंदी व अंग्रेजी में लेखन कार्य प्रारंभ किया| अनेक वर्षों तक दार्जीलिंग स्थित राहुल संग्रहागार से जुड़े रहे| बाद में सन 1971-72 में आप दिल्ली आ गए| और फिर अंत तक दिल्ली में ही रहे। दिल्ली में ही आपने सिविल मैरिज की और घर बसाया। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि सिविल मैरिज के दौरान कोर्ट के सम्मुख मुले जी के पिता की भूमिका बाबा नागार्जुन ने निभाई थी।
गुणाकर मराठी भाषी होने के बाद भी आप पचास साल से अधिक समय तक हिन्दी में लेखन करते रहे| इस दौरान आपकी करीब 35 पुस्तकें छपीं। राहुल सांकृत्यायन आपके गुरु थे। आपके परिवार में दो बेटियाँ, एक पुत्र तथा पत्नी हैं।आपने हिन्दी में करीब तीन हजार लेख लिखे और अँगरेजी में उनके 250 से अधिक लेख लिखे हैं। आप एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तक संपादन मंडल व नेशनल बुक ट्रस्ट की हिंदी प्रकाशन सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं। 16 अक्टूबर 2009 को मियासथीनिया ग्रेविस नामक न्यूरो डिसार्डर के कारण मुले का पांडव नगर में देहावसान हो गया।
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Well done.