पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
Chapter 6 Paar Nazar Ke Question Answer
पार नज़र के कहानी से
Chapter 6 Paar Nazar Ke Question Answer
प्रश्न 1. छोटू का परिवार कहाँ रहता था?
उत्तर- छोटू का परिवार मंगल ग्रह पर ज़मीन के नीचे बनी एक कॉलोनी में रहता था।
प्रश्न 2. छोटू को सुरंग में जाने की इजाज़त क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर- छोटू को सुरंग में जाने की इजाज़त नहीं थी क्योंकि यह सुरंग मंगल ग्रह की सतह पर जाने का रास्ता था| वहाँ के वातावरण में बिना सुरक्षा उपकरणों के जिंदा नहीं रहा जा सकता था| वहाँ केवल कुछ चुनिंदा लोगों को जाने की इजाजत थी। जो सुरक्षा उपकरणों की सहायता से वहाँ पहुँचकर ऊपर लगे यंत्रों की देखभाल करते थे| छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत नहीं थी और उसके पास सिक्योरिटी पास भी नहीं था।
प्रश्न 3. कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ उसने क्या हरकत की?
उत्तर- कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने कॉन्सोल-पैनल और वहाँ लगी कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिख रहा अंतरिक्ष यान क्रमांक-एक देखा। उस अंतरिक्षयान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकल रहा था। हर पल उसकी लंबाई बढ़ती ही जा रही थी। परंतु छोटू का पूरा ध्यान कॉन्सोल-पैनल पर ही था, जिस पर लगे लाल बटन को छोटू दबाना चाहता था। वह लाल बटन दबाने की अपनी इच्छा को रोक नहीं सका। बटन दबते ही खतरे ही घंटी बज उठी।
प्रश्न 4. इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। वह सब नष्ट कैसे हो गया? इसे लिखो-|
उत्तर- इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। वह सब नष्ट हो गया क्योंकि सूर्य में आए परिवर्तन के कारण वहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। लोग मंगल ग्रह की सतह के ऊपर बगैर किसी तरह के यंत्रों, बिना किसी खास किस्म के पोशाक के रहते थे| धीरे-धीरे वहाँ के वातावरण में परिवर्तन आया । वहाँ रहने वाले जीव एक के बाद एक मरने लगे। इस परिवर्तन का कारण सूर्य में आया परिवर्तन था। सूर्य में परिवर्तन होते ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया और लोग सतह के नीचे यंत्रों की सहायता से रहने को मजबूर हो गए| |
प्रश्न 5. कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों?
उत्तर- इस कहानी में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी ग्रह की एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक संस्था नासा (NASA)” ने भेजा था। इस यान का नाम वाइकिंग था। पृथ्वी वासी मंगल ग्रह पर भी जीवों का अस्तित्व के बारे में जानना चाहते थे। इसके कारण वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी एकत्र करना चाहते थे।
प्रश्न 6. नंबर एक, नंबर दो और नंबर तीन, अजनबी से निबटने के कौन तरीके सुझाते हैं और क्यों ?
उत्तर- नंबर एक ने सुझाव दिया कि इस अजनबी यान में केवल यंत्र हैं। हमारे पास इसे स्पेस में ही नष्ट करने की क्षमता हैं, मगर फिर हम इससे कोई जानकारी प्राप्त नहीं क्र सकेंगे| उसे मजबूर करके ज़मीन पर उतारने के लिए कोई यंत्र हमारे पास नहीं है। उसके स्वयं उतरने पर उसे बेकार करने की क्षमता हमारे पास है।
नंबर दो वैज्ञानिक थे। उनका सुझाव था कि अगर हमने अंतरिक्षयान को नष्ट किया तो लोगों को हमारे अस्तित्व का पता चल सकता है| फिर वे भविष्य में इनसे भी बढ़िया अंतरिक्ष यान यहाँ भेज सकते हैं। इसलिए हमें इनका अवलोकन करते रहना चाहिए और अपने अस्तित्व को जहाँ तक हो छिपाए रखना चाहिए।
नंबर तीन की राय थी- हमें कुछ ऐसा प्रबंध करना चाहिए जिससे इन यंत्रों को यह गलतफहमी हो कि यहाँ उनके लाभ की कोई चीज नहीं है। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।”
कहानी से आगे
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प्रश्न 1. (क) दिलीप एम. साल्वी
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर
(ग) आइज़क ऐसीमोव
(घ) आर्थर क्लार्क
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठी करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
उत्तर- छात्र ऊपर लिखे लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ विद्यालय के पुस्तकालय अथवा इंटरनेट की मदद से पढ़ें| पढ कर अपने विज्ञान शिक्षक की मदद से यह जानने का प्रयास करें कि उसमें कितनी सच्चाई है।
प्रश्न 2. इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है।’अजनबी’ शब्द सोचो? इंसान भी कई बार अजनबी माना जाता है और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था? क्या उसे भी अजनबी कहोगे? अगर हाँ तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
उत्तर- हाँ, मेरी मुलाकात ऐसे अजनबी से हुई है| बात उस समय की है, जब मेरे पापा का तबादला दिल्ली से रायपुर हुआ था| यह पूरा शहर मेरे लिए नया और हर व्यक्ति अजनबी था| एक नए और अजनबी विद्यालय में मेरा दाखिला कराया गया| विद्यालय में पहले दिन अनेक बच्चे पर मेरे लिए सभी अजनबी| कोशिश करके एक बच्चे से अपना परिचय देते हुए अपनी कक्षा के बारे में पूछा| उसने मेरी पूरी मदद की, मुझे कक्षा में लेकर गया| उसने बताया की वह भी मेरी ही कक्षा में पढ़ता है| कक्षा में उसने मेरा परिचय कक्षा के अन्य बच्चों से करवाया। फिर बातचीत करके हमने एक दूसरे के विषय में जाना समझा और हमारा अजनबीपन खत्म हो गया। नए विद्यालय का यह मेरा पहला अनुभव बहुत अच्छा था। धीरे-धीरे कर सभी से जान-पहचान हो गई और अब विद्यालय या शहर में कोई भी अजनबी नहीं रह गया|
अनुमान और कल्पना
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प्रश्न 1. यह कहानी जमीन के अंदर की जिंदगी का पता देती है। जमीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कुछ कैसा होगा, इसकी कल्पना करो और लिखो ?
उत्तर- जयंत विष्णु नार्लीकर की इस कहानी ‘पार नजर के’ के अनुसार मंगल ग्रह की जमीन के ऊपर सामान्य जन-जीवन नहीं है| वहाँ के वातावरण में जीवन के लिए जरुरी तत्व प्राणवायु और पानी आदि समाप्त हो गए हैं| जिसकी वजह से हर जगह पठारी भूमि, रेगिस्तान और मिट्टी के पहाड़ ही होंगे। बहुत अधिक ठंड होगी।
प्रश्न 2. मान लो कि तुम छोटू हो और यह कहानी किसी को सुना रहे हो तो कैसे सुनाओगे? सोचो और ‘मैं’ शैली में कहानी सुनाओ।
उत्तर- साथयो! मेरा नाम छोटू है। मैं मंगल ग्रह पर जमीन के नीचे बनी कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहता हूँ। मेरे पापा जहाँ काम करते हैं वहाँ किसी को जाने की इजाज़त नहीं है। वहाँ जाने की मेरी बहुत इच्छा होती है, परंतु बिना सिक्योरिटी पास के यह संभव नहीं था। मम्मी भी वहाँ जाने से रोकती थी| एक दिन मैं पापा का सिक्योरिटी पास लेकर चुपके से उस जगह पहुँच गया जहाँ से वह रास्ता शुरू होता था। उस सुरंग नुमा रास्ते के दरवाजे पर बने खाँचे में मैंने कार्ड डाला और दरवाजा खुल गया। अंदर जाकर मैंने कार्ड निकाल लिया और दरवाजा बंद हो गया। परंतु वहाँ लगे सुरक्षा यंत्र संदेह हो गया और एक दूसरे यंत्र ने मेरी तसवीर खींच ली। तभी सिक्योरिटी गार्ड आ गए और मुझे पकड़कर वापस मेरे घर छोड़ दिया। माँ इंतजार में बैठी थी। मेरे पहुँचते ही मुझ पर बरस पड़ी, तब पापा ने मुझे बचाया और बताया कि हमारे मंगल ग्रह पर कभी जीवन था, लेकिन सूर्य में आए परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।
सभी पेड़-पौधे और जीव-जंतु मरने लगे। ठंड इतनी बढ़ गई कि आम लोगों का वहाँ रहना मुश्किल हो गया। तब यंत्रों की सहायता से जमीन के नीचे घर बना कर रहने लगे। अब तो स्पेस-सूट और खास किस्म के जूते पहनकर ही जमीन के ऊपर रहा जा सकता है। अपनी तकनीक से मनुष्य ने जमीन के नीचे घर बना लिया जिसका नियंत्रण हम लोग अपने तरीके से करते हैं।
अगले दिन पापा मुझे अपने साथ अपने ऑफिस ले गए वहाँ एक कम्प्यूटर पर एक बिंदु दिखाई दे रहा था, जो एक आंतरिक्षयान था। कुछ समय बाद यान जमीन पर उतरा और उसमें से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। यह मेरे लिए खास था। मैं पापा के साथ था। सभी इस दृश्य को कंप्यूटर पर देख रहे थे। मेरा ध्यान कॉन्सोल पर लगे एक लाल बटन पर था। मैंने वह बटन दबा दिया जिससे खतरे का अलार्म बज उठा।अचानक यान के यांत्रिक हाथ ने काम करना बंद कर दिया। पापा ने गुस्से में मुझे एक थप्पड़ जड़ दिया और उस बटन को यथा स्थान कर दिया। पृथ्वी ग्रह के नासा से भेजे इस यान के यांत्रिक हाथ को वैज्ञानिकों ने रिमोट से ठीक कर दिया। अब वह जमीन की मिट्टी खोद रहा था। इस मिट्टी से पृथ्वी के लोग अध्ययन करके यह जानना चाहते थे कि मंगल ग्रह की जमीन पर जीवन है या नहीं।
भाषा की बात
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प्रश्न 1. ‘वार्तालाप’ शब्द वार्ता + आलाप के योग्य से बना है। यहाँ वार्ता के अंत का ‘आ’ और ‘आलाप’ के आरंभ का ‘आ’ मिलने से जो परिवर्तन हुआ है, उसे संधि कहते हैं। नीचे लिखे कुछ शब्दों में किन शब्दों की संधि है
- शिष्टाचार
- श्रद्धांजलि
- दिनांक
- उत्तरांचल
- सूर्यास्त
- अल्पाहार
उत्तर
- शिष्टाचार = शिष्ट + आचार
- श्रद्धांजलि = श्रद्धा + अंजलि
- दिनांक = दिन + अंक
- उत्तरांचल = उत्तर् + अंचल
- सूर्यास्त = सूर्य + अस्त
- अल्पाहार = अल्प + आहार
प्रश्न 2. “कार्ड उठाते ही दरवाजा बंद हुआ।“
यह बात हम इस तरीके से भी कह सकते हैं जैसे ही कार्ड उठाया, दरवाज़ा बंद हो गया।
ध्यान दो कि दोनों वाक्यों में क्या अंतर है। ऐसे वाक्यों के तीन जोड़े आप स्वयं सोचकर लिखो।
उत्तर-
(i) मेरे स्टेशन पहुँचते ही गाड़ी चल दी| ⇒ जैसे ही मैं स्टेशन पहुँचा, गाड़ी चल दी।
(ii) परीक्षा शुरू होते ही, श्याम आया। ⇒ जैसे ही परीक्षा शुरू हुई, श्याम आया।
(iii) प्राचार्य के पहुँचते ही, प्रार्थना शुरू हो गई। ⇒ जैसे ही प्राचार्य पहुँचे, प्रार्थना शुरू हो गई।
प्रश्न 3. छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई।
छोटू ने चारों तरफ़ देखा।
उपर्युक्त वाक्यों में समानता होते हुए भी अंतर है। मुहावरे वाक्यों को विशिष्ट अर्थ देते हैं। ऐसा ही मुहावरा पहली पंक्ति में दिखाई देता है। नीचे दिए गए वाक्यांशों में नज़र’ के साथ अलग-अलग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है, जिनसे मुहावरे बने हैं। इनके प्रयोग से वाक्य बनाओ।
- नजर पड़ना
- नज़र रखना
- नज़र आना
- नज़रें नीची होना
उत्तर-
- नज़र पड़ना ⇒ बगीचे में घूमते हुए अचानक मेरी नजर एक बहुत सुंदर फूल पर पड़ी।
- नज़र आना ⇒ सोहन पढ़ाई में व्यस्त होने के कारण कम नजर आता है।
- नज़र रखना ⇒ कक्षा में अध्यापक हर छात्र पर नजर रखते हैं।
- नज़रें नीची होना ⇒ कक्षा के एक छात्र की उद्दंडता के कारण पूरी कक्षा की नजरें नीची हो गईं।
प्रश्न 4. नीचे एक ही शब्द के दो रूप दिए गए हैं। एक संज्ञा है और दूसरा विशेषण है। वाक्य बनाकर समझो और बताओ कि इनमें से कौन से शब्द संज्ञा हैं और कौन से विशेषण।
आकर्षक – आकर्षण
प्रेरणा – प्रेरक
प्रभाव – प्रभावशाली
प्रतिभाशाली – प्रतिभा
उत्तर-
आकर्षक (विशेषण)— ताजमहल बहुत आकर्षक है।
आकर्षण (संज्ञा)– इस तसवीर में बहुत आकर्षण है।
प्रभाव (संज्ञा)– पूरे भारत पर गाँधी जी का प्रभाव है।
प्रभावशाली (विशेषण)– हमारे विधायक अपने क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति हैं।
प्रेरणा (संज्ञा)– शिवाजी कि कहानियाँ लोगों को प्रेरणा देती हैं।
प्रेरक (विशेषण)– महान लोगों के विचार प्रेरक होते हैं।
प्रतिभाशाली (विशेषण)– स्नेहा प्रतिभाशाली छात्रा है।
प्रतिभा (संज्ञा)– स्नेहा में अप्रतिम प्रतिभा है।
कुछ करने को
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प्रश्न 1.इस पाठ में मंगल ग्रह के जीवन के बारे में बताया गया है। क्या आपको वास्तविक प्रतीत होता है? अपना मत लिखिए।
उत्तर- जयंत विष्णु नार्लीकर की इस कहानी ‘पार नजर के’ के अनुसार छोटू और उसके परिवार के माध्यम से मंगल ग्रह के जीवन के बारे में बताया गया है। यह तथ्य कल्पना पर आधारित अवश्य है, परंतु इसमें बच्चों की रुचि विज्ञानिक दृष्टी से अन्य ग्रहों कि ओर उत्पन्न की गई है। ऐसा होना संभव अवश्य है, पर यह पूरी तरह सही नहीं हो सकता। यह एक वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर लिखी गई कहानी है। इसे पढ़कर हमारे ज्ञान में अवश्य वृद्धि होती है।
प्रश्न 2. इस पाठ को पढ़कर आपको किसके बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है?
उत्तर- इस पाठ को पढ़कर हमें चंद्रमा व अन्य ग्रहों के बारे में जानने की इच्छा उत्पन्न होती है कि वहाँ का जीवन कैसा है।
प्रश्न 3. अंतरिक्ष के विभिन्न ग्रहों के बारे में जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी गण स्वयं करें।
प्रश्न 4. ग्रहों को एक चार्ट में चित्र बनाकर डिसप्ले कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी गण स्वयं करें।
प्रश्न 5. आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन करते हुए यात्रा वृत्तांत लिखिए।
उत्तर- विद्यार्थी गण स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) इस पाठ के लेखक कौन हैं?
(i) गुणाकर मुले
(ii) कृष्णा सोबती
(iii) जयंत विष्णु नार्लीकर
(iv) केदार नाथ अग्रवाल
(ख) पापा के ऑफिस में छोटू का ध्यान कहाँ था?
(i) पर्वत पर
(ii) समुद्र पर
(iii) अंतरिक्ष यान पर
(iv) कंसोल के लाल बटन पर
(ग) छोटू द्वारा लाल बटन दवाते ही अंतरिक्ष यान में क्या हुआ?
(i) वह डांस करने लगा
(ii) वह वापस जाने लगा
(iii) उसकी यांत्रिक भुजा का बढ़ाना रुक गया
(iv) उसने मोटर स्टार्ट कर दी।
(घ) किस कमी के कारण मंगल ग्रहवासी अंतरिक्ष यान छोड़ने में असमर्थ थे?
(i) ऊर्जा की
(ii) यंत्रों की
(iii) तकनीकी की
(iv) ईंधन की
(ङ) सुरंग नुमा रास्ता कहाँ जाता था?
(i) जमीन के नीचे
(ii) गर की ओर
(iii) मंगल कि सतह पर
(iv) कहीं नहीं
(च) छोटू का परिवार कहाँ रहता था ?
(i) पर्वत पर
(ii) समुद्र में
(iii) आकाश में
(iv) जमीन के नीचे कॉलोनी में
(छ) कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या हरकत की?
(i) वह डांस करने लगा
(ii) वह चॉकलेट माँगने लगा
(iii) वह लाल बटन दबाने के लिए मचलने लगा
(iv) उसने मोटर स्टार्ट कर दी।
(ज) मंगल ग्रह के निवासी जमीन के नीचे किसके सहारे रहते थे?
(i) रोशनी के सहारे
(ii) पानी के सहारे
(iii) यंत्रों के सहारे
(iv) ईंधन के सहारे
उत्तर-
(क)(iii)
(ख) (iv)
(ग) (iii)
(घ) (i)
(ङ) (iii)
(च) (iv)
(छ) (iii)
(ज) (iii)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. छोटू ने सिक्यूरिटी पास कहाँ से पाया?
उत्तर- छोटू ने सिक्यूरिटी पास पापा कि छुट्टी के दिन चोरी-छिपे पाया ।
प्रश्न 2. सुरंगनुमा रास्ते में जाने के लिए किसकी आवश्यकता होती थी?
उत्तर- सुरंगनुमा रास्ते में जाने के लिए सिक्यूरिटी पास आवश्यकता होती थी ।
प्रश्न 3. मंगल ग्रह कि ज़मीन के ऊपर क्या था?
उत्तर- मंगल ग्रह कि ज़मीन के ऊपर यंत्र लगे थे जिनकी मदद से जमीन के अंदर सूर्य की रोशनी और ऊर्जा मिलती थी, साथ ही सिक्युरिटी के भी यंत्र थे।
प्रश्न 4. मंगल ग्रह के लोगों के लिए अब अंतरिक्ष यान छोड़ना असंभव क्यों है?
उत्तर- मंगल ग्रह के लोगों के लिए यान छोड़ना असंभव है, क्योंकि उसके लिए आवश्यक मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न 5. जमीन के नीचे रहना कैसे संभव हुआ?
उत्तर- तकनीकी ज्ञान के आधार पर ज़मीन के नीचे घर बना लिए गए हैं। ज़मीन के ऊपर अनेक प्रकार के यंत्र लगे हुए हैं। जिसके सहारे सूर्यशक्ति, रोशनी और गरमी को प्राप्त किया जाता है। इसी के आधार पर ज़मीन के नीचे जीवन संभव हो पाया?
प्रश्न 6. छोटू और उसकी माँ के बीच क्या बात होती थी?
उत्तर- छोटू और उसकी माँ के बीच सुरंगनुमा रास्ते की बात होती थी।
प्रश्न 7. सुरंगनुमा रास्ते का प्रयोग कौन करते थे?
उत्तर- सुरंगनुमा रास्ता सभी के लिए खुला नहीं था। इसका प्रयोग कुछ लोग ही कर सकते थे। यह रास्ता केवल उन लोगों के लिए खुला था जो इस रास्ते से होते हुए काम पर जाया करते थे।
प्रश्न 8. ज़मीन पर चलना कैसे संभव हो पाया?
उत्तर- जमीन पर चलने के लिए विशेष प्रकार के जूतों का प्रयोग किया जाता था। इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जाती थी।
लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सुरंग में पहुँचने के बाद छोटू कैसे पकड़ा गया?
उत्तर- सुरंग में पहुँचने के बाद छोटू को पता नहीं था कि वहाँ निरीक्षक यंत्र लगे हैं, जिनसे संदेह का संकेत मिलते ही सिपाहियों द्वारा उसे पकड़ा गया।
प्रश्न 2. मंगल ग्रह की जमीन के ऊपर काम करने वाले वहाँ साँस कैसे लेते थे?
उत्तर- मंगल ग्रह की जमीन के ऊपर काम करने वाले वहाँ साँस खास किस्म का स्पेस-सूट लेते थे ।
प्रश्न 3. छोटू की माँ छोटू से क्यों नाराज़ थी?
उत्तर- छोटू की माँ ने पहले भी कई बार छोटू को सुरंगनुमा रास्ते की तरफ़ जाने से मना किया था। फिर भी छोटू ने उनकी बात नहीं मानी। उसने पापा का सिक्यूरिटी पास चुराया और सुरंग का दरवाजा खोलकर उसके भीतर चला गया। इसी कारण छोटू की माँ उससे नाराज़ थी।
प्रश्न 4. अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों भेजा था?
उत्तर- अंतरिक्ष यान को ‘नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ यानी नासा ने भेजा था। नासा के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करना चाहते थे। वे इस अध्ययन द्वारा यह पता लगाना चाहते थे कि क्या मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह के जीव रहते हैं या नहीं। इसी उद्देश्य से ‘नासा’ ने अंतरिक्ष यान भेजा था।
प्रश्न 5. पाठ से फ़ और ज वाले (नुक्तेवाले) चार-चार शब्द छाँटकर लिखिए। इस सूची में तीन-तीन शब्द अपनी ओर से भी जोड़िए-
उत्तर- ‘फ़’ नुक्ते वाले शब्द-तरफ़, फ़रमा, सफ़र शिफ्ट।
ज़ नुक्ते वाले शब्द-नज़र, रोज, जमीन, दरवाजे।
प्रश्न 6. इस पाठ के अनुसार मंगल ग्रह पर जन-जीवन था। वह सब नष्ट कैसे हो गया? इसे लिखिए?
उत्तर- एक समय था जब मानव मंगल ग्रह पर जमीन के ऊपर रहते थे। धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव धरती पर रहते थे। सूरज में बहुत भारी परिवर्तन आया। सूरज में परिवर्तन होने की वजह से वहाँ का प्राकृतिक, संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे व अन्य जीव असमर्थ साबित हुए। इसलिए मंगल ग्रह का जीवन नष्ट हो गया।