महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
बचपन पाठ 2 | Bachpan Path 2 गद्यांश 1.
हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ| शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी| मेरे पहनने-ओढ़ने में भी काफी बदलाव आए हैं| पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हूँ| नीला-जामुनी-ग्रे-कला-चॉकलेटी| अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफेद पहनो| गहरे नहीं, हलके रंग| मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं| पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते|
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ में संकलित पाठ ‘बचपन’ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका ‘कृष्णा सोबती’ जी हैं। लेखिका ने यहाँ अपनी आत्मकथा के कुछ अंशों को उद्धृत किया है।
व्याख्या- इस गद्यांश के माध्यम से लेखिका बच्चों से कहती हैं कि अब मैं आपसे उम्र में बहुत बड़ी हो गई हूँ। क्योंकि मैं पिछली शताब्दी(20 वीं सदी)में पैदा हुई थी। मेरा जन्म 1925 में गुजरात पाकिस्तान में हुआ था। उनके बचपन से ले कर अब तक उनके पहनावे में बहुत अंतर आ चुका है। कुछ समय के अनुसार, तो कुछ उम्र के अनुसार। पहले लेखिका तरह-तरह के रंग-बिरंगे कपड़े पहनती थी। उन्हें नीला, जामुनी, ग्रे, काले और चाकलेटी रंग के कपड़े बहुत पसंद आते थे,लेकिन अब समय बदल गया है। उनकी उम्र के अनुसार पहनावा में भी अंतर आ गया है| वर्तमान में तो उन्हें केवल सफेद रंग के कपड़े ही पहनने का मन होता है। अब उन्हें गहरे रंगों के स्थान पर हल्के रंग ही पसंद आते हैं। पिछले दशकों में उन्होंने तरह-तरह के कपड़े पहने थे। सबसे पहले वह फ्रॉक पहनती थी, फिर उसके बाद निकर-वॉकर, फिर स्कर्ट एवं बाद में गरारे व लहंगे भी पहने, लेकिन अब वह समय बहुत पीछे रह गया। अब तो चूड़ीदार पजामी और घेरेदार कुर्ता ही पहना जाता है।
बचपन पाठ 2 | Bachpan Path 2 गद्यांश 2.
चने जोर गरम और अनारदाने का चूर्ण! हाँ, चने जोर गरम की पुड़िया जो तब थी, वह अब भी नजर अति है| पुराने कागजों से बनाई हुई इस पुड़िया में नीरा हाथ का कमाल है| निचे से तिरछी लपेटते हुए ऊपर से इतनी चौड़ी कि चने आसानी से हथेली पर पहुँच जाएँ| एक वक्त था जब फिल्म का गाना- चना जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार, चना जोर गरम- उन दिनों स्कूल के हर बच्चे को आता था|
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ में संकलित पाठ ‘बचपन’ से लिया गया है। यह पाठ प्रसिद्ध लेखिका ‘कृष्णा सोबती’ की आत्मकथा का अंश है। लेखिका ने यहाँ अपने बचपन की मधुर स्मृतियों को पुनः जगाया है।
व्याख्या- इस गद्यांश के माध्यम से लेखिका अपने बचपन की सुखद यादों को ताजा करती हुई कहती है कि चना जोर गरम और अनारदाने का चूर्ण जो अब भी बिकता है, वह उस समय पुराने कागजों से बनी शंकु आकार कि पुड़िया में बिकता था| चने की वह पुड़िया बनाने का ढंग ही अद्भुत था। कागज को नीचे से ऊपर कि ओर तिरछा लपेटा जाता था जिससे उसके ऊपर का आकार इतना चौड़ा हो जाता था कि उसमें से चने आसानी से निकल सकते थे। लगभग उन्हीं दिनों फिल्म क्रांति का यह गाना कि “चना जोर गरम बाबू मैं लाया मज़ेदार” बहुत हिट हुआ था। यह गाना उन दिनों स्कूल के बच्चे-बच्चे को याद था।
बचपन पाठ 2 | Bachpan Path 2 गद्यांश 3.
पिछली सदी में तेज रफ्तारवाली गाड़ी वही थी| कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज आती, बच्चे उन्हें देखने बहार दौड़ते| दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर| यह देखो और वह गायब! उसकी स्पीड ही इतनी तेज़ लगती| हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती| यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था| वहाँ आँखों डॉक्टर अंग्रेज़ थे|
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ में संकलित पाठ ‘बचपन’ से ली गई हैं। लेखिका ‘कृष्णा सोबती’ ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए तब की प्रसिद्ध रेलगाड़ी और हवाई जहाज के बारे में बताया है।


व्याख्या- इस गद्यांश के माध्यम से लेखिका उस समय के आवागमन के साधनों को याद करते हुए बताती हैं कि उन दिनों कि सबसे तेज गति से चलने वाली गाड़ी कालका मेल थी जो दिल्ली से कालका तक जाती और आती थी। तब हवाई आसमान में हवाई जहाज भी कभी-कभी ही दिखाई देते थे। जब आकाश में हवाई जहाज उड़ता दिखाई देता, तो बच्चे खुश होकर उत्साह से शोर मचाते हुए, देखने के लिए घरों से बाहर निकल आते थे। हवाई जहाज आसमान में उड़ते हुए ऐसा लगता था जैसे कोई बड़े-बड़े पंखों वाला कोई विशाल पक्षी उड़ा जा रहा है। अपनी तेज़ रफ्तार के कारण वह पलक झपकते ही आँखों से दूर हो जाता था। वह स्थान जहाँ कालका मेल गाड़ी का मॉडल बना हुआ था लेखिका के मन में उसके पास वाली दुकान भी हमेशा याद आती है, कारण यह कि इस दुकान पर ही उनका सबसे पहला चश्मा बना था। एक अंग्रेज डॉक्टर ने ही उनकी आँखें टेस्ट करके पहली बार चश्मा बनाया था।
NCERT Class 6 Bachpan : Written by Krishna Sobati
Very nice material
Nice content.
Hindi me kavita padhne ka apna he maja hai.
Best Content ever.